आईने हैं सभी सियाह देखो,
दर्द फैला है हद-ए-निगाह देखो.
हैं तो सब ही मुसीबतों के मारे हुए,
किसको मिलती है अब पनाह देखो.
वो जो बैठा है सब के दर्द का बाइस,
कहते हैं सब जहांपनाह देखो.
चंद आँसू किसी के पोन्छो मत,
इसको कहते हैं अब गुनाह देखो.
है हक़ीक़त क्या करो 'ख़याल' इसका,
ख्वाब देखो ना ख्वाब्गाह देखो.
-'ख़याल'
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